News: देश में लॉक डाउन के पहले चरण का अंत 14 अप्रैल को हुआ तथा उसी दिन प्रधानमंत्री मोदी ने लॉक डाउन के दूसरे चरण का ऐलान कर दिया। लॉक डाउन की अवधि को बढ़ाकर 3 मई तक कर दिया गया है। अगर देखा जाए तो 24 मार्च से लेकर 3 मई तक कुल मिलाकर 40 दिन का लॉक डाउन रहा। इस दौरान लगभग सभी फील्ड में भारी नुकसान हुआ। कई इंडस्ट्रीज, फैक्ट्री पूरी तरीके से बंद रही। व्यापार पूर्ण रूप से ठप्प रहा। लॉक डाउन की वजह से जिन सेक्टर पर सबसे ज्यादा बुरा असर पड़ा है वह यह है:-
ऑटोमोबाइल
ऑटोमोबाइल के इस सेक्टर में लॉक डाउन से कुछ समय पहले ही मंदी चल रही थी। क्योंकि ट्रांसपोर्टेशन पर कुछ हद तक रोक अपने आप लग गई थी। लोग ज्यादा सफर करने से बच रहे थे और वाहन की खरीद से भी। लेकिन इसी बीच सरकार द्वारा लगाया लॉक डाउन ने ऑटोमोबाइल की हालत और ज्यादा खराब कर दी। अप्रैल में गाड़ियों की खरीद में बहुत ज्यादा गिरावट देखी गई। और आने वाले कुछ महीनों में भी इसमें कोई तेजी आने के आसार नहीं लग रहे हैं। अब अगर यह महामारी नहीं थमेगी तो कुछ कहा नहीं जा सकता कि यह संकट कब तक बना रहे। अब उम्मीद की जा रही है कि इस साल सितंबर, अक्टूबर तक कुछ बिक्री बढ़ेगी।
बैंकिंग
निश्चित रूप से इस सेक्टर में बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है। अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस महामारी और लॉक डाउन की वजह से आने वाले समय में दूसरी कंपनियां भी डिफॉल्ट कर सकती है। इसी के साथ NPA भी बढ़ सकता है। आईसीआईसीआई, एचडीएफसी और एसबीआई बैंक के मुकाबले छोटे बैंकों को ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है।
हॉस्पिटैलिटी और टूरिज्म
अगर बात करें कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा नुकसान उठाने वाले सेक्टर्स की तो उनमें से यह सेक्टर नंबर 1 पर है। दुनिया भर के देशों में महामारी की वजह से लॉक डाउन घोषित कर दिया है। और इसका सबसे पहला असर दिखा है ट्रांसपोर्टेशन पर। एक देश से दूसरे देश में आने जाने वाले विदेशी टूरिस्ट की संख्या एकदम से घट गई है। इसका असर टूरिज्म कारोबार पर बहुत ज्यादा हुआ है। साथ ही एविएशन सेक्टर भी घाटे में चल रहा है। कई उड़ाने रद्द हो जाने की वजह से भी या कारोबार संकट में है।
ऑयल एंड गैस सेक्टर
लॉक डाउन के चलते हर प्रकार के ट्रांसपोर्टेशन वेहिकल पर रोक लगा दी गई है। पर इसका असर यह हुआ है कि पेट्रोल और डीजल जैसे फ्यूल के डिमांड में भारी गिरावट दर्ज हुई है। अप्रैल में भी यह समस्या बनी रहेगी क्योंकि पूरा अप्रैल लॉक डाउन रहेगा। पहले ही ONGC की समस्या बढ़ गई है, क्योंकि क्रूड प्राइस में कमी आ गई है। अब डिमांड भी कम होने की वजह से मुश्किलें और बढ़ेंगी।
रियल्टी और इंफ्रास्ट्रक्चर
इस सेक्टर में पिछले काफी समय से परेशानियां चल रही है। लेकिन अब लॉक डाउन में समस्याएं और ज्यादा बढ़ गई हैं। लॉक डाउन की वजह से मजदूर अपने घर लौट गए हैं और निश्चित रूप से कहा भी नहीं जा सकता कि लोग डाउन के खत्म होते ही आजाएंगे। इसका असर कंस्ट्रक्शन पर भी दिख रहा है।
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