News: देश में चल रहे लॉक डाउन की वजह से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है, क्योंकि अपनी फसल को बाजार में लाने के लिए किसानों को कोई भी ट्रांसपोर्ट फैसिलिटी नहीं मिल रही है, जिससे कि उनकी फसल गोदाम में पड़े पड़े खराब हो रही है। इसी के तहत सप्लाई चैन में आई रुकावट को दूर करने के लिहाज से कृषि मंत्रालय ने सभी राज्यों में बल्क बायर्स, रिटेलर्स, फूड प्रोसेसिंग कंपनियों को ये निर्देश दिए है की वे सीधे किसानों से फसल खरीदे। यही तरीका अपनाकर सप्लाई चैन में आई रुकावट को दूर किया जा सकता है तथा किसानों की मुसीबत को भी हल किया जा सकता है। इसलिए कृषि मंत्रालय ने सभी बड़े रिटेलर, बल्क बायर एवं फूड प्रोसेसिंग कंपनियों को किसानों से सीधे फसल खरीदने के लिए अनुमति दे दी है। इससे बड़ी रिटेल कंपनियों, फूड प्रोसेसिंग कंपनियों को भी फायदा हो सकता है। इसकी मंजूरी देने के लिए कृषि सचिव ने सभी राज्यों को चिट्ठी लिखकर इस बात के लिए मांग की है। कृषि सचिव ने अपनी बात में कहा है कि सभी राज्य सरकारें अगले 3 महीने तक इस व्यवस्था को बनाए रखें, क्योंकि ऐसा करने से दो काम आसान होंगे। पहला यह कि सभी राज्यों की मंडियों में भीड़ इकट्ठी नहीं होगी और दूसरा यह कि सप्लाई चैन में भी किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं होगी। इसी के साथ सरकार ने Enam के नियमों में भी कुछ बदलाव किया है।
जानकारी के लिए बता दें कि देश में फैल रहे कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से लगाए गए लॉक डाउन ने कृषि व्यवस्था पर भारी चोट की है। इस समय रबी फसलों की कटाई जारी है परंतु मजदूरों की कमी होने की वजह से कटाई पर भी बहुत ही ज्यादा असर पड़ रहा है। इसके अलावा लॉक डाउन की वजह से सभी मंडियां भी बंद है जिससे कि कृषि के हाजिर कारोबार पर भी इसका असर दिख रहा है। और अगर ऐसी स्थिति रही तो आने वाले दिनों में खाने पीने की वस्तुओं की सप्लाई में भी परेशानी आ सकती है। जानकारों द्वारा बताया जा रहा है कि देश में तेजी से संक्रमण के मामले बढ़ते देख लॉक डाउन का समय भी बढ़ाया जाएगा।
संभावना जताई जा रही है कि बता दें कि लॉक डाउन की वजह से आटा, दाल, खाने के तेल की सप्लाई पर असर देखा जा सकता है। इसका मुख्य कारण है मजदूरों की कमी क्योंकि मजदूरों की कमी से जरूरी चीजों की सप्लाई पर उसका असर दिख रहा है। मजदूरों की कमी होने से तेल की प्रोसेसिंग में भी 40 फ़ीसदी की गिरावट आई है। आटा मिल में भी 40 से 50 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। और इसके साथ ही 70% दाल मिलों में काम पूरी तरीके से बंद पड़ा है। यही वजह है कि खाने की इन वस्तुओं के दाम तीन से चार फ़ीसदी बढ़े हैं। लोगो के लॉक डाउन की वजह से जरूरी सामान जमा करने से मुश्किल और बढ़ी है।
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