News: देश में कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलते देख किए गए लॉक डाउन की वजह से देश को व्यापार में बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है। इसी पर आईएमएफ यानी कि इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड चीफ ने कहा है कि 2020 की मंदी 1930 की महामंदी से भी बहुत ज्यादा भयावह सिद्ध होगी। आईएमएफ की हेड क्रिस्टलीना जॉर्जीवा (Kristalina Georgieva) ने कहा कि इन हालातों को देखते हुए लगता है कि अब 2021 में ही कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। उन्होंने यह भी बताया कि कोरोना वायरस महामारी के संक्रमण के फैलने से कुछ हफ्ते पहले ही सामाजिक व आर्थिक असर देखे जा रहे थे। इस महामारी को फैलने से रोकने के लिए दुनिया भर की सरकारें 8 लाख करोड रुपए से ज्यादा का पैकेज दे चुकी है। लेकिन अब भी स्थिति को काबू में लाने के लिए और फंड की आवश्यकता पड़ रही है
उनका कहना है कि मुसीबतों की इस घड़ी में सबसे बुरा हाल इमर्जिंग मार्केट और डेवलपिंग कंट्रीज का होगा। तथा इनमें सुधार लाने के लिए सैकड़ों अरब डॉलर की आवश्यकता पड़ेगी
उनका कहना है कि मुसीबतों की इस घड़ी में सबसे बुरा हाल इमर्जिंग मार्केट और डेवलपिंग कंट्रीज का होगा। तथा इनमें सुधार लाने के लिए सैकड़ों अरब डॉलर की आवश्यकता पड़ेगी
IMF चीफ ने कहा, "सिर्फ तीन महीने पहले तक हम अपने 160 मेंबर देशों में प्रति व्यक्ति इनकम में इजाफे की उम्मीद कर रहे थे। अब 170 से अधिक देशों में प्रति व्यक्ति आय घटने का अनुमान है।" उनके लगाए सभी अनुमानों पर जैसे पानी ही फिर गया।
जानकारी के लिए बता दें कि जॉर्जीवा का ऐसा बयान उस दौरान आया है जबकि अगले हफ्ते ही आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक की बैठक होने वाली है। उन्होंने कहा कि दुनिया में जिस तरह का संकट चल रहा है वह पहले कभी भी नहीं देखा गया। कोरोना वायरस ने देश की आर्थिक और सामाजिक स्थिति को बहुत ही तेजी से खराब किया है, ऐसी स्थितियां पहले कभी नहीं बनी।
उनका यह भी कहना है कि इस वायरस के संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और लोगों की मौत हुए जा रही है। इसके संक्रमण को रोकने के लिए लॉक डाउन करना पड़ रहा है, जिससे कि अरबों लोग प्रभावित हो रहे हैं और भयंकर नुकसान हो रहा है। अभी-अभी ऐसी स्थितियां बनी है, कुछ सप्ताह पहले तक सब कुछ सामान्य था। पहले बच्चे स्कूल जा रहे थे, लोग अपना कामकाज कर रहे थे, सभी लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ थे। लेकिन अब यह काम करना हमारे लिए बहुत ही जोखिम भरा हो सकता है।
IMF चीफ जॉर्जीवा का कहना है कि दुनिया में चल रही इस संकट की घड़ी का अंदाजा लगा पाना मुश्किल और अनिश्चित है कि इस सब को संभलने में कितना समय लगेगा। लेकिन इतना साफ कहा जा सकता है कि 2020 में वैश्विक वृद्धि दर में शत प्रतिशत गिरावट आएगी। उन्होंने यह भी साफ कहा कि उनका अनुमान है कि हम 1930 की महामंदी के बाद की सबसे बड़ी गिरावट देखेंगे।
अभी तक दुनिया में 1930 की महामंदी को अर्थव्यवस्था का सबसे बुरा दौर माना जाता है। जिसकी शुरुआत 1929 में अमेरिका में वॉल स्ट्रीट पर न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज के गिरने से हुई थी। और उस महामंदी के दौर को समाप्त होने में लगभग 10 साल का समय लगा था। लेकिन अभी विश्व भर में चल रही महामारी को रोकने के लिए आवश्यक पाबंदियां लगाई गई हैं जिससे कि अर्थव्यवस्था की मानो कमर ही टूट गई है।
जॉर्जीवा का कहना है कि नुकसान तो सभी जगह हुआ ही है लेकिन विशेष रूप से पर्यटन क्षेत्र, परिवहन क्षेत्र, खुदरा एवं होटल सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं, क्योंकि ज्यादातर देशों में अधिकांश जो श्रमिक है वह या तो स्वरोजगार में काम कर रहे हैं या फिर लघु एवं मझोले उपक्रमों में काम कर रहे हैं। अभी के हालातों में ऐसी कंपनियां और यह श्रमिक सबसे ज्यादा इस संकट को झेल रहे हैं।
जॉर्जीवा का कहना है कि नुकसान तो सभी जगह हुआ ही है लेकिन विशेष रूप से पर्यटन क्षेत्र, परिवहन क्षेत्र, खुदरा एवं होटल सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं, क्योंकि ज्यादातर देशों में अधिकांश जो श्रमिक है वह या तो स्वरोजगार में काम कर रहे हैं या फिर लघु एवं मझोले उपक्रमों में काम कर रहे हैं। अभी के हालातों में ऐसी कंपनियां और यह श्रमिक सबसे ज्यादा इस संकट को झेल रहे हैं।
आईएमएफ प्रमुख ने कहा है कि लातिनी अमेरिका, अफ्रीका और एशिया के एक बड़े हिस्से के उभरते बाजार और विदेश जिनकी आय कम है वह काफी ज्यादा जोखिम में है। क्योंकि सबसे पहली बात तो यह कि उनकी स्वास्थ्य प्रणाली बहुत ही ज्यादा कमजोर है तथा इसके अलावा उन्हें सबसे ज्यादा गंदी रहने वाली बस्तियों की घनी आबादी कि इस चुनौती को झेलना है तथा शारीरिक रूप से सुरक्षित दूरी बनाकर रहने के अलावा और कोई दूसरा रास्ता नहीं है। इस महामारी से बचने का एक ही इलाज है खुद को इस बीमारी से बचाना। बचाव ही एकमात्र उपाय हैं।
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