News: दुनिया भर में जहां एक ओर कोरोना महामारी की वजह से सभी लोग दहशत में है। दुनिया भर के कई देश मौजूदा समय में लॉक डाउन का पालन कर रहे हैं। क्योंकि यही एक रास्ता रह गया है जिससे कि वह खुद को एवं देश दुनिया को बचा सकते हैं। ऐसे में धरती पर हालात ऐसे हो गए हैं मानो जीवन थम सा गया हो। और बाहर लोग जैसे दिखना बंद ही हो गए हो। वही दूसरी ओर आकाश में कुछ ऐसी अनोखी खगोलीय घटनाएं देखने को मिल रही है जो कि बहुत ही कम दिखाई देती है।
बता दें कि आज आसमान में साल 2020 का "सुपरमून" दिखाई देने वाला है। आज यानी कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन 2020 का आखरी सुपरमून दिखाई देगा। हमारे प्राचीन इतिहास में भी वैशाख महीने में आने वाले बुद्ध पूर्णिमा का चांद बहुत ही खास माना जाता है। सारिका घारू जो कि एक विज्ञान प्रसारक है, उनका कहना है कि पश्चिमी देशों में मौजूदा समय में जो फूल खिलते हैं उसी की वजह से इसे सुपर फ्लावर मून, कॉर्नप्लांटिंग मून या फिर मिल्क मून भी कहा जाता है। उन्होंने यह बताया कि यह सुपरमून पृथ्वी से लगभग 361184 किलोमीटर दूर होता है। हालांकि यह पृथ्वी से इतनी ज्यादा दूरी पर है लेकिन फिर भी आज बुद्ध पूर्णिमा के दिन यह चांद आम पूर्णिमा के मुकाबले 14 फ़ीसदी ज्यादा बढ़ा और 30 फ़ीसदी ज्यादा चमकदार दिखाई देने वाला है।
सारिका घारू ने यह भी बताया है कि सुपरमून आज शाम के करीब 6:52 पर आसमान में दिखाई देने वाला है जो कि अगले दिन सुबह 5:36 पर अस्त होगा। उन्होंने यह कहा है कि पृथ्वी के वातावरण में ऊपर की तरफ एक बहुत ही घनी परत है जिसमें से होकर जब इस सुपरमून का प्रकाश धरती पर दिखाई देगा तब इसका रंग हल्का तामिया जैसा हो सकता है घनी परत की वजह से। और जैसे-जैसे सुपर मून ऊपर की ओर बढ़ेगा वैसे वैसे उसकी चमक और भी ज्यादा तेज होगी। इसकी रोशनी बहुत ज्यादा होगी इस वजह से इसे सुपरमून का नाम दिया है। उन्होंने यह भी साफ किया है कि इसे देखने के लिए किसी भी प्रकार के किसी यंत्र, टेलिस्कोप की आवश्यकता नहीं होगी। यह 2020 का आखरी सुपरमून है और अगला सुपरमून अब 2021 में 27 अप्रैल को दिखाई देगा। तो आज 2020 का आखरी सबसे चमकता हुआ मून जो कि अपने आप में बहुत ही अनोखा है दिखाई देगा।
विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने यह भी बताया है कि चांद पृथ्वी के चारों ओर जिस पथ पर चक्कर लगाता है उस पथ का आकार अंडाकार है। जिसमें चांद और पृथ्वी के बीच के अधिकतम दूरी है 406692 किलोमीटर जिसे कि अपोजी भी कहा जाता है। एवं पृथ्वी और चांद की सबसे कम दूरी 356500 किलोमीटर है जिससे कि पेरेजी कहा जाता है। तो जब चांद और पृथ्वी के बीच की दूरी 361885 किलोमीटर से कम होती है तब आने वाली पूर्णिमा को सुपरमून बन जाता है जो कि काफी बड़ा एवं चमकदार दिखाई देता है।
जानकारी के लिए बता दें कि सुपरमून के दिखाई देने से पहले आसमान में एक और अनोखी घटना हुई थी जिसमें कि 30 अप्रैल से लगाकर 1 हफ्ते तक आसमान में काल पुरुष तारामंडल का बहुत ही अनोखा नजारा देखने को मिला था जो कि अपने आप में बहुत ही दुर्लभ है। इसकी खास बात यह है कि यह एक मनुष्य की आकृति जैसा दिखाई दे रहा था जिसमें वह शिकारी की तरह हाथ में एक तलवार लिए हुए और दूसरे हाथ में शेर की खाल लिए हुए दिखाई दे रहा था। पूरे हफ्ते तक ऐसा दृश्य दिखाई दिया। लेकिन अब यह काल पुरुष तारामंडल आने वाले दिसंबर के महीने में फिर से नजर आने वाला है।
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