News: देश में फैल रहे कोरोना वायरस ने सब की हालत पस्त कर दी है। इस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री ने 21 दिन का लॉक डाउन घोषित किया है। लॉक डाउन के चलते सभी जगह नुकसान हो रहा है, व्यापार ठप्प पड़ा है। बड़ी बड़ी इंडस्ट्रीज की बात करें या छोटी दुकानों की, दोनों में आमदनी शून्य हो गई है। सरकार ने सभी कंपनियों को कहा है कि इन लॉक डाउन के दिनों में एक भी एम्पलॉइज की तनख्वाह नहीं काटी जाए, उन्हें सुचारू रूप से उनकी सैलरी मिलती रहनी चाहिए। ऐसे में कंपनियों का सवाल है कि शून्य आमदनी में एम्पलॉइज को सैलरी देने के लिए पैसे कहां से लाए।
सभी बड़ी इंडस्ट्रीज लगातार सरकार से गुहार लगा रही है की उन्हें आर्थिक मदद की सख्त जरूरत है। इकोनामिक टाइम्स के अनुसार इंडस्ट्रीज और व्यापार की समझ रखने वाले लोगों का कहना है कि लेबर मिनिस्ट्री अनइंप्लॉयमेंट बेनिफिट बढ़ाने के बारे में सोच रहा है।
सभी इंडस्ट्रीज का यह कहना है की सरकार ने जो हमें निर्देश दिए हैं कि लॉक डाउन में सभी एंप्लाइज को तनख्वाह दे, तो क्या ऐसा करना कानूनी रूप से वैध है या नहीं। उदाहरण के तौर पर डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट को देखते हुए कहे तो ऐसी कोई भी कानूनी वैधता नहीं है।
सरकार ने इंडस्ट्रीज को यह भी निर्देश दिए हैं कि वह मजदूरों का वेतन बंद ना करें, चाहे मजदूर इस समय कोई भी काम नहीं कर रहे हैं। इस दौरान कुछ प्रोडक्ट केटेगरी में मजदूरों की कमी भी आ रही है। मजदूरों की कमी होने के कारण सप्लाई भी डिस्टर्ब हो गई है।
सरकार के ऐसे निर्देशों पर लगभग सभी बड़ी छोटी कंपनियां यही कह रही है कि इस मुश्किल के समय में उन पर दोहरी मार पड़ रही है। एक और जहां उनका काम बंद पड़ा है वहीं दूसरी ओर उन्हें मजदूरों को वेतन देने के लिए भी कहा गया है। सभी का यही सवाल है कि आखिर वे वेतन देने के लिए पैसे कहां से लाए।
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